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सानिया मिर्जा ने शोएब मलिक से लिया खुला:शादी मुश्किल रिश्ता, तलाक और भी मुश्किल; अलगाव को न बनाएं चौराहे की लड़ाई

 

 

टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और उनके पाकिस्तानी क्रिकेटर पति शोएब मलिक अलग हो गए हैं। सानिया मिर्जा शौहर शोएब मलिक से ‘खुला’ लेकर अलग हुईं। तलाक के ऐलान से पहले सानिया मिर्जा इंस्टाग्राम पर लिख चुकी थीं, ‘शादी मुश्किल है, तलाक मुश्किल है, अपनी मुश्किलें खुद चुनें। जिंदगी आसान नहीं, ये हमेशा ही मुश्किलों से भरी रहेगी, हम अपनी मुश्किल ध्यान से चुन सकते हैं।' हैरानी की बात है कि सानिया मिर्जा के साथ शादीशुदा होने के बावजूद शोएब मलिक दूसरा निकाह (शोएब की तीसरी शादी) कैसे कर सकते 

शोएब की नई नवेली बेगम की तस्वीर पर सवालों की झड़ी

सोशल मीडिया पर शोएब और उनकी नई नवेली बेगम की चमकती तस्वीर आने के बाद सवालों की झड़ियां लग गई। हालांकि इसमें चौंकने वाली कोई नई बात नहीं थी? सानिया मिर्जा और शोएब मलिक के तलाक की सुगबुगाहट कई महीनों से चल रही थी। यह गॉसिप गरम थी कि सानिया और शोएब का तलाक हो गया है। इन अफवाहों के बीच पाकिस्तानी टीवी पर ‘मिर्जा और मलिक टॉक शो’ भी चलता रहा जिसने इन अफवाहों पर लगाम रखी थी।

सानिया के पिता ने ‘खुला’ की तस्दीक की

बहरहाल, सानिया मिर्जा के पिता इमरान मिर्जा ने सामने आकर ये साफ कर दिया है कि सानिया ने शोएब से 'खुला' लिया है न कि शोएब ने सानिया को तलाक दिया है। अब सवाल उठता है कि आखिर ये 'खुला' क्या है? इस्लाम में 'खुला' तलाक के सिक्के का वो पहलू है, जहां मुस्लिम महिला अपनी मर्जी से पति से अलग हो सकती है।

'खुला' में मुस्लिम महिला के पास पति को एकतरफा तलाक देने का हक होता है। इस्लाम औरत को अपनी मर्ज़ी से तलाक लेने की इजाजत देता है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमएम) के जनरल सेक्रेटरी मौलाना मोहम्मद हामिद नोमानी कहते हैं इस्लाम में ‘खुला’ का मतलब महिला के तलाक लेने का हक होता है।

 

खुला, फस्ख और तलाक-ए-तफवीज में फर्क

खुला; इस्लाम में पत्नी को पति से अलग होने का हक बीवी का अगर शौहर से रिश्ता निभाना मुश्किल हो जाए तो बीवी अलग होने का फैसला ले सकती है। यह एक तरह से तलाक की साझा प्रक्रिया है जिसमें पत्नी अपने दहेज और मेहर की एवज में खुला मांगने के लिए पति को राजी करती है। इसका मतलब साफ है कि बीवी को शौहर से कुछ नहीं चाहिए। बस वह शादी के रिश्ते से आजाद होना चाहती है। खुला में तीन कंडीशन होती है।

पहला-आपसी सहमति से खुला लिया जाता है जिसमें पति-पत्नी दोनों मिलकर फैसला करते हैं कि वो अलग हो रहे हैं। पत्नी कहती है ‘मुझे खुला चाहिए’, पति कहता है ‘मैंने तुम्हें खुला दिया, तुम आजाद हो।’

दूसरा कंडीशन-अगर पत्नी खुला चाहती और पति टालमटोल कर रहा है तो फिर काजी को बीच में आना पड़ता है। पति इस गलतफहमी में न रहे कि अगर वो खुला के लिए राजी नहीं होगा है तो पत्नी अलग नहीं हो सकती। ऐसी स्थिति में काजी साहब फैसला लेकर खुलानामे पर मोहर लगा सकते हैं, और महिला शादीशुदा रिश्ते बाहर निकल सकती है।

तीसरी कंडीशन- पत्नी खुला लेना चाहती है, लेकिन पति इसके लिए राजी नहीं है तब रिश्ते से बाहर निकलने की इच्छा रखने वाली महिला वकील के जरिए अपने निकाहनामा के कागज के साथ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ‘खुला’ की अर्जी दे सकती है।

इसमें काजी के अलावा दो लोगों की गवाही जरूरी होती है। इसमें औरत शारीरिक या आर्थिक नुकसान की सबूत देते हुए मुआवजे की मांग भी कर सकती है। इस तलाक का किसी निश्चित अवधि में फैसला नहीं आता है और सुनवाई चलती रहती है। दोनों पक्षों को सुनने का बाद पति-पत्नी के एकसाथ नहीं रहने की स्थिति बनने पर खुला की अर्जी मंजूर कर ली जाती और महिला एक बोझिल रिश्ते से मुक्त हो जाती है।

 

फस्ख

अगर पति पत्नी को किसी वजह से तलाक नहीं दे रहा है और उसके साथ ज्यादती करता है तो ऐसे में काजी और जज को उनका निकाह रद्द करने का अधिकार होता है। काजी और जज जब चाहे शादी को खत्म कर सकते हैं।

तलाक-ए-तफवीज

यह एक शरिया कानून है। इसमें निकाह के दौरान बीवी को तलाक का हक दिया जाता है। इसका जिक्र निकाहनामे में होता है। साथ ही मौलाना को इस बात की जानकारी होती है। अगर बीवी को लगता है कि शौहर के साथ वो खुश नहीं है तो वो उस हक़ का इस्तेमाल कर तलाक ले सकती है, जिसका जिक्र तलाकनामा में होता है।

 

इस्लाम में शादी बराबरी की बुनियाद

कुरान में शादी को औरत और मर्द के बीच विधिवत करार के रूप में देखा गया है। दोनों ही पक्षों को करार रद्द करने का हक भी है। शादी के लिए दोनों पक्षों का बालिग या होश-ओ-हवास में होना जरूरी है। मतलब, वही व्यक्ति बालिग है जो एक परिपक्व दिमाग और विकसित शरीर रखता हो, जिसकी मर्जी और मंजूरी चलती हो। यही नियम महिलाओं के साथ भी लागू होता है यानी जो महिला करार करने के काबिल हो, वह इस समझौते को रद्द भी कर सकती है।

खुला लेने की अलग-अलग वजह

दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट अंजुम इस्लाम कहती हैं शादीशुदा रिश्ते में पत्नी तीन वजहों से खुला या तलाक की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकती है। इन तीन आयामों में जिंदगी के सभी पहलू आ जाते हैं। मुस्लिम महिला शौहर का गलत व्यवहार सहने के लिए मजबूर नहीं है। उसे प्यार, इज्जत, सुख पाने का हक है। इस्लाम के इन्हीं मूल्यों के चलते देश में मुस्लिम विवाह विच्छेद कानून, 1939 बनाया गया। यह कानून सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के तलाक के हक के लिए है। इसके मुताबिक भारत में कोई भी मुस्लिम महिला अपने पति से तलाक ले सकती है।

  • शारीरिक कमी या ऐब, पति द्वारा खराब बर्ताव, कानूनी क्रूरता।
  • पति शारीरिक फर्ज निभाने में नाकाम है तब पत्नी खुला ले सकती है।
  • पति का चेहरा आकर्षक न लगने पर भी पत्नी के खुला ले सकती है।
  • पति समय पर घर न लौटे या रोज देर रात घर आए तब भी पत्नी खुला ले सकती है।

मुस्लिम महिला पति से 9 वजहों के आधार पर खुला ले सकती है

डिजोल्यूशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट 1939 सिर्फ मुस्लिम महिला के तलाक के हक़ के लिए है। इसके मुताबिक भारत में मुस्लिम महिला अपने पति से 9 वजहों के आधार पर तलाक ले सकती है।

 

महिलाएं खुला लेने में हिचकती हैं

इस्लाम ने महिलाओं को शादी के बोझ भरे रिश्ते से खुद को बरी करने की आजादी और इजाजत तो दी है लेकिन हर महिला सानिया मिर्जा की तरह अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। आज भी महिलाएं कमजोर, दबी कुचली जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं क्योंकि आर्थिक लिहाज से आत्मनिर्भर नहीं है। महिला अगर खुला के हक का इस्तेमाल करके पति से छुटकारा पा भी जाए तो बाकी बची जिंदगी गुजारने और रोटी, कपड़े, मकान के लिए दर-बदर भटकना पड़ सकता है। तलाकशुदा महिला को मायका भी नहीं स्वीकारता।

 

खुला लेना तलाक से बेहतर

महिला अगर मजबूत है तो उसके लिए खुला लेना तलाक से बेहतर है। क्योंकि तलाकशुदा औरत को हमारा समाज एक ठुकराई, लाचार, बेबस औरत की नजर से देखता है। वहीं अगर औरत खुला लेकर पति से अलग होती है तो समाज के सामने उसकी मजबूत सशक्त तस्वीर उभरती है। मगर अफसोस हमारे समाज में अभी ऐसी आत्मविश्वास से भरी महिलाओं की कमी है और इसकी खास वजह महिलाओं आर्थिक रूप मजबूत न होना। कमजोर और मजबूर महिला को दबाना सब अपना हक समझते हैं।

सानिया मिर्जा जैसी मजबूत इंटरनेशनल मशहूर शख्सियत ने जितनी ईमानदारी और संजिदगी के साथ शादीशुदा रिश्ते को निभाया उतनी ही सादगी और शराफत से अपनी शादी को खुला के जरिए खत्म भी किया। बर्दाश्त करने की ताकत हर औरत कुदरत से मिली है।

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